चलते चलाते : पप्पू चुप है
पप्पू जी को देखो भैया,
चाल नया अपनाया है।
हिन्दू की हत्या पर चुप,
अपराधी बहुत बढ़ाया है।
रक्तपिपासु, दुष्ट राक्षसी,
श्वेत वस्त्र में डायन है,
बंगाल राज्य, रक्तरंजित है,
नरसंहार कराया है।
स्त्री की जघन्य हत्या है,
वहां चिकित्सक पिटते हैं।
आंदोलन को ध्वस्त कराने,
गुण्डे, पुलिस आ जाते हैं।
शोषण-भ्रष्टाचार की मलिका,
शर्म नहीं ममता को है।
ये औरत! औरत की दुश्मन,
अनाचार की अतिशय है।
औरत नहीं सुरक्षित है!
इस डायन के रहने से,
जान बचाए कैसे जनता,
क्या उपाय अपनाने से?
'इंडी' और प्रियंका गाँधी,
मूक हैं! कारस्तान से,
चमचे अटपट से बकते,
हैं, गद्दारों- हत्यारों से।
टी एम सी के गुंडे नेता,
दुष्ट- कुकर्मी पागल हैं,
रक्तधार से धरा लाल है
ये दानव के वंशज हैं।
छाती छलनी है मांओं की
देख! नित्य गिरती लाशें,
गंदे, गद्दार, दरिंदें- दानव,
इन्सान खा रहे जंगली से।। डॉ सुमंगला झा।